2 Line Shayari #208, Dorh dorh ke khud ko
दौड़-दौड़ के खुद को पकड़ के लाता हूँ,
तुम्हारे इश्क ने बच्चा बना दिया है मुझे।
दुसरों की शर्तों से सुल्तान बनने से अच्छा,
खुद की खुशी से फकी़र बनना ज्यादा बेहतर है।
घर का दरवाजा इस अंदाज से खोला उसने,
कि जैसे मैं नहीं कोई और था आने वाला।
लोग औरत को फकत जिस्म समझ लेते हैं,
रूह भी होती है इसमें, ये कहाँ सोचते हैं।
रास्ते कहाँ खत्म होते हैं ज़िन्दगी के सफर में..
मंजिल तो वही हैं जहाँ ख्वाइशै थम जायें।
घर का दरवाजा इस अंदाज से खोला उसने,
कि जैसे मैं नहीं कोई और था आने …