Ahmad Faraz Shayari – Akele To Hum Pehle Bhi Jee Rahe The
अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे “फराज़” क्यों तन्हा हो गए तेरे जाने के बाद प्यार में एक ही मौसम है बहारों का “फ़राज़” लोग कैसे मौसमो की तरह बदल जाते है वहां से एक पानी की बूँद न निकल सकी तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील देखते रहे जिसे भी चाहा है शिदद्त से चाहा है सिलसिला टुटा नहीं दर्द की ज़ंज़ीर का वो जो शख्स कहता रहा तू न मिला तो मर जाऊंगा वो जिन्दा है यही बात किसी और से कहने के लिए कुछ ऐसे हादसे भी ज़िन्दगी में होते है “फ़राज़“ इंसान तो बच जाता है पर ज़िंदा नहीं रहता ऐसा डूबा हूँ तेरी याद के समंदर में दिल का धड़कना भी अब तेरे कदमो की सदा लगती है एक ही ज़ख्म नहीं सारा बदन ज़ख़्मी है दर्द हैरान है की उठूँ तो कहाँ से उठूँ तुम्हारी दुनिया में हम जैसे हज़ारों है हम ही पागल थे की तुम को पा के इतराने लगे तमाम उम्र मुझे टूटना बिखरना था “फ़राज़” वो मेहरबाँ भी कहाँ तक समेटा मुझे शायरी – अहमद फ़राज़ Akele To Hum Pehle Bhi Jee Rahe The “Fazar“ Kyon Tanhaa Ho Gaye Tere Jane Ke Baad Pyar Mein Ek Hi […]
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