लफ़्ज़ों की शरारत – शरारत उर्दू शायरी
वो शरारत भी तेरी थी वो मोहब्बत भी तेरी थी , वो शरारत भी तेरी थी अगर कुछ बेवफाई थी , तो वो बेवफाई भी तेरी थी हम छोड़ गए तेरा शहर , तो वो हिदायत भी तेरी थी आखिर करते तो किस से करते तुम्हारी शिकायत वो शहर भी तेरा था और वो अदालत भी तेरी थी शरारत न होती शरारत न होती , शिकायत न होती नैनों में किसी के , नज़ाकत न होती न होती बेकरारी , न होते हम तन्हा अगर जहाँ में कम्बख्त ये मोहब्बत न होती कोई शरारत करते तुम पास होते तो कोई शरारत करते तुझे बाँहों में भर मुहब्बत करते देखते तेरी आंखों में नींद का खुमार अपनी खोई हुई नींदो की शिकायत करते आओ एक शरारत करते हैं एक शरारत करते हैं आओ मोहब्बत करते हैं हँसती आँखों से कह दो , दरिया हिजरत करते हैं , कुछ दिल ऐसे हैं जिन पर हम भी हुकूमत करते हैं कौन कहता है शरारत से तुम्हें देखते हैं कौन कहता है शरारत से तुम्हें देखते हैं जान -ऐ -मन हम तो मोहब्बत से तुम्हें देखते हैं तुम को मालूम नहीं तुम हो मुकद्दस कितने देखने वाले भी तुम्हे अकीदत से तुम्हें देखते हैं […]
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