यादों का इक झोंखा
यादों का इक झोंखा आया मुद्द्तों बाद
पहले इतना रोये नहीं जितना रोये बरसों बाद
लम्हां लम्हां गुजरा तो हमे अहसास हुआ
पत्थर फैंके बरसों पहले , शीशे टूटे बरसों बाद
दस्तक ही उमीद लगाये कब से बैठे हैं हम
कल का वादा करने वाले , मिलने आए बरसों बाद..
गुजरे हुए वक़्त की यादें
सजा बन जाती है गुजरे हुए वक़्त की यादें
न जाने क्यों छोड़ जाने के लिए मोहबत करते है लोग..
टूटी थी चूड़ियाँ
थामी है कलाई अब न छुटेगी मुझसे
टूटी थी चूड़ियाँ , टूटे अब मेरी बला से..
तुझे सोचना
कोई और काम दे दो मुझे अब तुम
यह क्या तुझे सोचना और सोचते ही रहना..