हर रोज बहक जाते हैं मेरे कदम, तेरे पास आने के लिये…ना जाने कितने फासले तय करने अभी बाकी है तुमको पाने के लिये..
ऐ इश्क़…तेरा वकील बन के बुरा किया मैनें, यहाँ☝ हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा हैं…
ना मेरा दिल बुरा था ना उसमें कोई बुराई थी , सब नसीब का खेल है , बस किस्मत में जुदाई थी।
इरादा कतल का था तो मेरा सिर कलम कर देते , क्यों इश्क़ में डाल कर तूने मेरी हर साँस पर मौत लिखदी।
मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह होती है कितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी पड़ ही जाती है।
भुला देंगे तुमको ज़रा सब्र तो कीजिये , आपकी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा हमें।
अबकी बार सुलह करले मुझसे ए दिल वादा करता हूँ की फिर नहीं दूँगा तुझे किसी ज़ालिम के हाथों में
हमें तो कब से पता था कि तुम बेवफा हो बस तुझसे प्यार करते रहे कि शायद तुम्हारी फितरत बदल जाये।
लिखना था की खुश हूँ तेरे बिना पर आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहले।
चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत है मेरे पास………..लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है….
तेरे सिवा कौन समा सकता है मेरे दिल में……रूह भी गिरवी रख दी है मैंने तेरी चाहत में !!
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह।
मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते है .. पूरी उम्र लग जाती है उसे भुलाने में …
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।
उजड़ जाते हैं सिर से पाँव तक वो लोग …. जो किसी बेपरवाह से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं !
हजारो गम है सीने मे मगर शिकवा करें किससे… इधर दिल है तो अपना है… उधर तुम हो तो अपने हो…
भरोसा जितना कीमती होता है धोका उतना ही महँगा हो जाता है।
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी…… पहले पागल किया..फिर पागल कहा..फिर पागल समझ कर छोड़ दिया..
खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है..
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में , मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का , मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।
कोई मिला नहीं तुम जैसा आज तक,पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही
ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या खूबी है उसमें,वो मुझे याद नहीं करती, मैं उसको भूल नहीं पाता 🙁
आज उस की आँखों मे आँसू आ गये,वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है….
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना … बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम….
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।
अब अकेला नहीं रहा मैं यारों …. मेरे साथ अब मेरी तन्हाई भी है।
किसी को प्यार करो तो इतना करों की उसे जब भी प्यार मिलें… तो तुम याद आओ….
रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी … जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी ..
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी .. अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं..
उनके हाथ पकड़ने की मजबूती जब ढीली हुई तो एहसास हुआ शायद ये वही जगह है जहां रास्ते बदलने है ….
खुद से मिलने की भी फुरसत नहीं है अब मुझे,और वो औरो से मिलने का इलज़ाम लगा रहे है…
रात भर जागता हूँ एक एसे सख्श की खातिर… जिसको दिन के उजाले मे भी मेरी याद नही आती..
तेरे होने तक मैं कुछ ना था…. तेरा हुआ तो मैं बर्बाद हो गया
भरम है .. तो भरम ही रहने दो …. जानता हूं मोहब्बत नहीं है …पर जो भी है … कुछ देर तो रहने दो
लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आज कल…..एक खुराक तेरे दीदार की चाहिए
इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी….ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही
तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा …तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही, जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा
वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो गए।
आज के बाद ” ये रात और तेरी बात ” नहीं होगी
टूट कर चाहा था तुम्हे और तोड़ कर रख दिया तुमने मुझे
कैसे करूँ मैं साबित…कि तुम याद बहुत आते हो…एहसास तुम समझते नही…और अदाएं हमे आती नहीं…
काश तू मेरी मौत होती तो एक दिन मेरी ज़रूर होती।
मगर वो एक शख्स ही मेरी आखिरी मोहब्बत है….
कहाँ पूरी होती है दिल की सारी ख्वाइशें —- कि बारिश भी हो , यार भी हो …. और पास भी हो
ना रहा करो उदास किसी बेवफा की याद में , वो खुश है अपनी दुनिया में तुम्हारी दुनिया उजाड़ कर
वो उदासी भर लम्हा —- जब उनके पास आपके इलावा सब के लिए टाइम होता है
ये दुःख , उदासी , आँसुओं को मौत क्यों नहीं आती
जा तुझे तेरे हाल पर छोड़ दिया … इससे बेहतर तेरी सज़ा क्या होगी
मुझे रुलाकर सोना तेरी आदत बन गयी है .. जिस सुबह मेरी आँख न खुली उस दिन तुझे तेरी अपनी ही नींद से नफरत हो जाएगी
कैसे करे इंतजार तेरे लौट आने का, अभी दिल को यकीन नहीं हुआ है तेरे चले जाने का !
हम तो हद से गुजर गए थे तुम्हे चाहने में …. तुम्ही उलझे रहे हमे आजमाने में
मोहब्बत में हमेशा अपने आप को बादशाह समझा हमने मगर एहसास तब हुआ जब किसी को माँगा फकीरों की तरह
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने, अब से जल्दी सोया करेंगे , मोहब्बत छोड दी मैँने….
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क होता है
हमें तो प्यार के दो लफ़्हज़ भी ना नसीब हुए.. और बदनाम ऐसे हुए जैसे इश्क़ के बादशाह थे हम
कौन करता है यहाँ प्यार निभाने के लिये,दिल तो बस एक खिलौना है जमाने के लिये !!
दुनिया जीत गयी … दिल हार गया
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर, वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर…
वो जा रही थी और मैं खामोश खड़ा देखता रहा, क्योंकि सुना था कि पीछे से आवाज़ नहीं देते..!
इतना कुछ हो रहा है..दुनिया में, ……क्या तुम मेरे नही हो सकते..
मोहब्बत तो दिल से की थी, दिमाग उसने लगा लिया…. दिल तोड दिया मेरा उसने और इल्जाम मुझपर लगा दिया
जो दिल में आये वो करो…. बस किसी से अधूरा प्यार मत करो
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ….
जो उड गये परिंदे उनका क्या अफसोस करें….यहां तो पाले हुए भी गैरों की छतों पर उतरते हैं…!!!
तेरे बिना जीना मुश्किल है …! ये तुझे बताना और भी मुश्किल है….
किस किस से वफ़ा के वादे कर रखे हैं तूने ??? हर रोज़ एक नया शख्स मुझसे तेरा नाम पूछता है
रोकना मेरी हसरत थी जाना उसका शौक। वो शौक पूरा कर गए मेरी हसरतें तोड़ कर।
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे, इक शहर अब इनका भी होना चाहिए…
मै फिर याद आऊंगा उस दिन जब तेरे ही बच्चे कहेंगे-मम्मी आपने कभी किसी से प्यार किया ???
हमारी चर्चा छोडो दोस्तों, हम ऐसे लोग है जिन्हें, नफरत कुछ नहीं कहती और मोहब्बत मार डालती है…
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं, हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं..
चाह से ज्यादा, चाहने की चाह, मुझे भी थी उसे लेकिन क्या फायदा ऐसी चाह का, जो चाहकर भी ना बन सके मेरी चाह
ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम, शहर में भीड़ इतनी भी न थी..पर रोक दी तलाश हमने, क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये थे
ख़त जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर, डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते
मरने के नाम से जो रखते थे मुँह पे उँगलियाँ ….. अफ़सोस वही लोग मेरे दिल के क़ातिल निकले…..
अभी ज़रा वक़्त है, उसको मुझे आज़माने दो. वो रो रोकर पुकारेगी मुझे, बस मेरा वक़्त तो आने दो।।।
दर्द हैं दिल में पर इसका ऐहसास नहीं होता… रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता… बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में… और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता…
तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया, मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही..
अखबार तो रोज़ आता है घर में, बस अपनों की ख़बर नहीं आती. ❤
घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए, मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हुए…
अफ़सोस होता है उस पल जब अपनी पसंद कोई ओर चुरा लेता है.. ख्वाब हम देखते है.. और हक़ीक़त कोई और बना लेता है.
वो गुस्से में तेरा लब से मेरे सिगरेट हटा देना उसी दिलकश अदा की याद में अब कश लगाते हैं !!
हम भी किसी की दिल की हवालात में कैद थे..!! फिर उसने गैरों के जमानत पर हमें रिहा कर दिया..!! …
अपनी जवानी में और रखा ही क्या है, ☝कुछ तस्वीरें यार की बाकी बोतलें शराब की ।।
जिस्म पर जो निशान ☝ हैं ना जनाब, वो बचपन के ☝ हैं बाद के तो सारे दिल ❤ पर है ।।
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम.. खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है
बारिश के बाद तार पर टंगी आख़री बूंद से पूछना, क्या होता है अकेलापन
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ …. कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्बत
किसे इल्ज़ाम दे अपने जज़्बातो के क़त्ल का… समझदार बनने का शौख तो हमे ही था..
खुद को माफ़ नहीं कर पाओगे, जिस दिन जिंदगी में हमारी कमी पाओगे..
उसने कहा हमसे.. हम तुम्हें बर्बाद कर देंगे. हमने मुस्कुरा के पूछा… क्या तुम भी मोहब्बत करोगे अब हमसे..??
रोज़ एक नई तकलीफ.. रोज़ एक नया गम…. ना जाने कब ऐलान होगा की मर गए हम….
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है, जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..!
अभी तक याद कर रहा है ए पागल दिल, उसने तो तेरे बाद भी हजारो भुला दिए
कुछ उनकी मजबूरियाँ, कुछ मेरी कश्मकश। बस यूँ ही, एक ख़ूबसूरत कहानी को खत्म कर दिया हमने।
लोग सुबूत माँगते हैं हम से हमारी बर्बादी का, अब कैसे बताएँ, अपने हादसों के हम अकेले ही गवाह है..
घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए, मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हुए…
अजीब रंगो में गुजरी है, मेरी जिंदगी, दिलों पर राज़ किया पर मोहब्बत को तरस गए..
मेरी आँखों में आँसू नहीं, बस कुछ “नमी” है.. वजह तू नहीं, तेरी ये “कमी” है..
दर्द की भी अपनी एक अदा है.. ये तो सहने वालों पर ही फ़िदा है।
बेशक तू बदल ले अपने आपको लेकिन ये याद रखना.. तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता…!
दर्द काफी है बेखुदी के लिए, मौत काफी है ज़िन्दगी के लिए, कौन मरता है किसी के लिए, हम तो ज़िंदा है आपके लिए…
अपनी तो ज़िन्दगी ही अजीब कहानी है.. जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है… हँसते है तो सिर्फ दोस्तों को हसाने के लिए … वरना इन आँखों में में पानी ही पानी है.
आँसू आ जाते हैँ आखोँ मेँ रोने से पहले… खुआब टूट जाते हैँ पूरे होने से पहले….प्यार गुनाह है यह तो समझ गए… काश कोई रोक लेता यह गुनाह होने से पहले।
एक “सफ़र” ऐसा भी होता है दोस्तों……जिसमें “पैर” नहीं “दिल” थक जाता है…
सामने होते हुए भी तुझसे दूर रहना.. बेबसी की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी…
किसी को चाह कर ना पाना दर्द देता है, लेकिन पाकर खो देना जिँदगी तबाह कर जाता है…..!
तू मुझमें पहले भी था ,तू मुझमें अब भी है… पहले मेरे लफ्जों में था अब मेरी खामोशियों में है।
अब क्या बताये किसी को कि ये क्या सजा है, इस बेनाम ख़ामोशी की क्या वजह है।
मुझको ढुँढ लेता है रोज किसी बहाने से, दर्द वाकिफ हो गया हैँ मेरे हर ठिकाने से…
मेरा यूँ टुटना और टूटकर बिखर जाना कोई इत्फाक नहीं.. किसी ने बहुत कोशिश की है मुझे इस हाल तक पहुँचाने में…
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ,मुझे हकीक़तें सज़ा देती हैं!
कभी पिघलेंगे पत्थर भी मोहब्बत की तपिश पाकर,बस यही सोच कर हम पत्थर से दिल लगा बैठे..
तेरे रोने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता ऐ दिल..जिनके चाहने वाले ज्यादा हो..वो अक्सर बे दर्द हुआ करते हैं
बहुत अज़ीब होती है ये यादें भी मोहब्बत की..जिन पलों में हम रोए थे,उन्हें याद करके हमें हसीं आती है…और जिन पलों में हसें थे ..उन्हें याद करके रोना आता है॥
कुछ रिशते ऐसे होते हैं..जिनको जोड़ते जोड़ते इन्सान खुद टूट जाता है।
Life में एक partner होना जरुरी है. वर्ना दिल की बात status पर लिखनी पड़ती है…!!
खामोश हूँ तो सिर्फ़ तुम्हारी खुशी के लिए…..ये न सोचना की मेरा दिल दुःखता नहीं ….!!
जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !! मगर, किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !!
ना दिल शिकस्त का आदि है…ना इश्क़ हार मानता है…!!
हम रोए भी तो वो जान ना सके… वो उदास भी हुए हुए तो हमें खबर हो गई..
उन्होंने हमसे दो चार बाते क्या कर ली। अब वो कहने लगे आप हमे परेशान करने लगे हो।
निगाहों में अभी तक दूसरा कोई चेहरा ही नहीं आया, भरोसा ही कुछ ऐसा था तुम्हारे लौट आने का…
गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनक लेकर। ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे।
कभी टूट कर बिखरो तो मेरे पास आ जाना,मुझे अपने जैसे लोग बहुत पसंद हैं ।
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में, बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता !!
तुझे झूठ बोलना हमने ही सिखाया है… तेरी हर बात सच मान कर ।
तड़प के देखो किसी की चाहत में, तो पता चलेगा, कि इंतजार क्या होता है, यूं ही मिल जाए, कोई बिना चाहे, तो कैसे पता चलेगा कि प्यार क्या होता है.
लो..बदल गया मिजाज-ऎ-मौसम…. हुबहू तुम्हारी तरह..!!!
जरा देखो तो ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है, अगर ‘इश्क’ हो तो कहना, अब दिल यहाँ नही रहता..
बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं, पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाए जाते हैं, ले जाती है मोहब्बत उन राहो पर, जहा दिए नही दिल जलाए जाते हैं
मैं ज़हर तो पी लूँ शौक से तेरी खातिर ….पर शर्त ये है कि तुम सामने बैठ कर साँसों को टुटता देखो
दुख तो अपने ही देते हैं वरना गैरों को कैसे पता की हमें तकलीफ किस बात से होती है…..
करता नहीं तुमसे ये दिल शिकायत मगर, कहना ये चाहता है कि तुम अब वो नहीं रहे |
वक़्त नूर को बेनूर बना देता है! छोटे से जख्म को नासूर बना देता है! कौन चाहता है अपनों से दूर रहना पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है, उन्हें केसे समझाऊ एक ख्वाब अधुरा है…वर्ना जीना मुझे भी आता है.
आज अपनी फालतू चीजें बेच रहा हूँ मैं…..!है कोई ऐसा जिसे मेरी शराफत चाहिए….।।
काश ये इश्क भी चुनावों की तरह होता… हारने के बाद विपक्ष में बैठकर कम से कम दिल खोलकर बहस तो कर लेते…
तू मेरे जनाजे को कन्धा ना देना, जिन्दा ना हो जाऊ फिर कही तेरा सहारा देख कर…!
है परेशानियाँ यूँ तो, बहुत सी ज़िंदगी में, तेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता….
चलो माना तुम्हारी आदत हैं तडपाना, मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो…
अगर “बेवफाओं” की अलग ही दुनिया होती तो मेरी वाली वहाँ की “रानी” होती..!!
वो जो हमसे नफरत करते हैं,हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,नफरत है तो क्या हुआ यारो,कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं।
इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..
रोकना मेरी हसरत थी जाना उसका शौक। वो शौक पूरा कर गए मेरी हसरतें तोड़ कर।
क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहे…!! तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है….!!
अकेले रहने का भी एक अलग सुकून हे.. ना किसी की वापस आने की उम्मीद.. ना किसी के छोड कर जाने का डर….!!
ना उजाड़ ए ख़ुदा किसी के आशियाने को….बहुत वक़्त लगता है एक छोटा सा घर बनाने को…
मेरी नींद भी मेरी दुश्मन हो गयी, ख्वाबो में भी मुझे तुमसे मिलने नही देती।
कोई इल्जाम रह गया हो तो वो भी दे दो.. पहले भी हम बुरे थे, अब थोड़े और सही…!!
वो मेरी तन्हाइयों का हिसाब क्या देगी, जो खुद ही सवाल है वो जवाब क्या देगी..
ऐ दिल थोड़ी सी हिम्मत कर ना यार, दोनों मिल कर उसे भूल जाते है.!!
कोई ठुकरा दे तो हँसकर जी लेना..! क्यूँकि मोहब्बत की दुनिया में ज़बरजस्ती नहीं होती..!!
हमारी किस्मत तो आसमान पे चमकते सितारों की तरह है… लोग अपनी तमन्ना के लिए हमारे टूटने का इंतजार करते है…
वो रोया तो बहुत होगा खाली कागज़ देख कर.. ज़िन्दगी कैसी बीत रही है.. उसने पूछा था ख़त में…
अजीब कशमकश है जान किसे दें। वो भी आ बैठे और मौत भी।
छोङो ना यार, क्या रखा है सुनने और सुनाने मेँ, किसी ने कसर नहीँ छोङी दिल दुखाने मेँ..
कभी न कभी वो मेरे बारे में सोंचेगी ज़रूर.. के हासिल होने की उम्मीद भी नही थी, फिर भी वफ़ा करता था !!
दर्द से हाथ न मिलाते तो और क्या करते! गम के आंसू न बहाते तो और क्या करते! उसने मांगी थी हमसे रौशनी की दुआ! हम खुद को न जलाते तो और क्या करते!
आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की , ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो !!
मौहब्बत मुझे थी उनसे इतनी सनम यादों में दिल तड़पता रहा.. मौत भी मेरी चाहत को रोक न सकी कब्र में भी दिल धड़कता रहा !!
प्यार में मेरे सब्र का इम्तेहान तो देखो… वो मेरी ही बाँहों में सो गए… किसी और के … लिए रोते रोते…
पागल नही थे हम जो तेरी हर बात मानते थे,बस तेरी खुशी से ज्यादा कुछ अच्छा ही नहीँ लगता था…
याद हैं मुझे आज भी उसके आखिरी अल्फ़ाज़… जी सको तो जी लेना … वरना मर जाओ … तो बेहतर है….
सोचता हूँ …कभी तेरे दिल में उतर के देख लूं…कौन है ?? तेरे दिल में ??….जो मुझे बसने नहीं देता…..!!
तकिये क़े नीचे दबा क़े रखे हैँ तुम्हारे ख़याल..एक तेरा अक्स, एक तेरा इश्क़ ,ढेरोँ सवाल और तेरा इंतज़ार
तेरा और मेरा इतना ही किस्सा हैं, तू मेरे दर्द का एक अहम हिस्सा हैं.
तेरे बाद खुद को इतना तनहा पाया …. जैसे लोग हमें दफना के चले गए हो !!
लाख चाहता हूँ कि तुझे याद ना करूँ..मगर…इरादा अपनी जगह बेबसी अपनी जगह… :))
बहुत सोचा, बहुत समझा, बहुत देर तक परखा,तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से बेहतर है
बात कोई और होती तो हम कह भी देते…कम्बखत मोहब्बत हे…बताया भी नहीं जाता…
दो आँखो में…दो ही आँसू….एक तेरे लिए, एक तेरी खातिर..!!
लोगों की बातें सुनकर छोड़ जाने वाले…हम कितने बुरे थे तुम पता तो कर लेते..!!
सिर्फ़ अल्फ़ाज़ की ही बस बात थी… जज़्बात तो वो वैसे भी नहीं समझते
निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
खामोशी के भी अपने अल्फाज़ होते हैं … अगर तुम समझ जाते तो आज मेरे करीब होते।
चल हो गया फैसला कुछ कहना ही नहीं …तू जी ले मेरे बगैर मुझे जीना ही नहीं..
उसको बेवफा कहकर अपनी ही नजर में गिर जाते है हम…..वो प्यार भी अपना था और वो पसंद भी अपनी थी…
क्या पता तुम कब भूल जाओ ये मोहब्बत….जिसे हम ज़िन्दगी और तुम एक लफ्ज़ कहते हो….
आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये .. तन्हाई में तुझे हम पास बुला कर रोये… कई बार पुकारा इस दिल ने तुम्हें …और हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये
समझदार ही करते है अक्सर गलतिया,कभी देखा है किसी पागल को मोहब्बत करते
जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है… रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है…..
तुम्हारे बाद मेरा कौन बनेगा हमदर्द.. मैंने अपने भी खो दिए.. तुझे पाने की ज़िद में….
सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले,हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया
औकात नही ❌ थी इस दुनिया में किसी की जो हमारी कीमत लगा सके…लेकिन प्यार ❤ में पड गया आखिर और मुफ़्त में खुद बिक गया
रूठेंगे तुमसे तो इस कदर की,तुम्हारी आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी…
निकाल दिया उसने हमें अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
काश की उसको हम बचपन मे ही मांग लेते,क्योंकि बचपन में हर चीज मिल जाती थी तब दो आँसू बहाने से
तेरी आरज़ू मेरा ख्वाब है, जिसका रास्ता बहुत खराब है, मेरे ज़ख्म का अंदाज़ा ना लगा, दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी, जहाँ सारा शहर अपना था और तुम अजनबी…
होठों की हँसी को ना समझ हक़ीक़त-ए-जिंदगी,दिल में उतर के देख हम कितने उदास है..
वो जो “अपना” था “किसी” और का “क्यों” है, ऐसी दुनिया है तो ये “दुनिया” क्यों है….
अब भी ताज़ा हैं जख्म सिने में … बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में… हम तो जिन्दा हैं तेरा साथ पाने को …. वर्ना देर नहीं लगती हैं जहर पीने में !!
हँसते रहने की आदत भी कितनी महँगी पड़ी हमें…छोड़ गया वो ये सोच कर कि…हम दूर रह कर भी खुश हैं
वही रिश्ता, वही नाता, वही मैँ और वही तुम,बस अब वक्त ना रहा तेरे पास इजहार-ए-मोहब्बत के लिए…
इस दुनिया के लोग भी कितने अज़ीब हैं … सारे खिलौने छोड़ कर जज़्बातों से खेलते हैं….
अब इश्क ☝ भी करो तो ज़ात पूछकर करना, ☝ यारो मज़हबी झगड़ो में मोहब्बत हार ☝ जाती है…
एक शख्स है ज़िन्दगी जैसा.. और वो भी ज़िन्दगी में नहीं…!!
कट रही है ज़िंदगी रोते हुए, और वो भी तुम्हारे होते हुए…
जो कभी मेरा “Password” था, ^_^ आज उसके पास मेरे लिए कोई “Word” नहीं है…
उन्हे हम याद आते है मगर फुर्सत के लम्हों में, मगर ये बात भी सच है की उन्हे फुर्सत नहीं मिलती..
दे दिया “इश्क़” की नौकरी से “इस्तीफा”…..कि अभी उम्र नहीं इतने ग़म उठाने की….
दर्द बनकर ही रह जाओ हमारे साथ … सुना है दर्द बहुत वक़्त तक साथ रहता है।
तैरना तो आता था हमे मोहब्बत के समंदर मे लेकिन, जब उसने हाथ ही नही पकड़ा तो डूब जाना अच्छा लगा
हे भगवान् ! एक टूटा हुआ तारा ही दिखा दो ….. सच्चा प्यार मांगना है ….
कुछ अलग करना है तो दोस्तों वफ़ा करो … वरना मजबूरी का नाम लेकर बेवफाई तो सभी करते हैं।
दिल के अरमान को दिल मे सुला ना देना,अपनी खूबसूरत आँखो को रुला ना देना, कल किसने देखा है आख़िर, हम ना रहे तो हमे भुला ना देना !!
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का….. जिसका जितना दर्द बुरा, शायरी उतनी ही अच्छी….
ज़्यादा कुछ नहीं बदला ” उसके और मेरे ” बीच में पहले नफरत नहीं थी और अब ” प्यार ” नहीं है।
इन्सान ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही मोहब्बत करता है …. बाकी की मोहबत्तें वो पहली मोहब्बत भुलाने के लिए करता है।
खुश तो वो रहते हैं जो ” जिस्मों ” से मोहब्बत करते है, क्यूंकि, ” रूह ” से मोहब्बत करने वालों को अक्सर ” तड़पते ” ही देखा है…
मोहब्बत छोड कर हर एक जुर्म कर लेना, वरना तुम भी हमारी तरह मुसाफिर बन जाओगे तनहा रातो के…..!
बडी देर से देख रहा हूँ आज तस्वीर तेरी, देख कर जाने क्यों लगा कि तुम वो ना रहे जो पहले थे…
कभी कभी कितनी बातें होती हैं कहने को … जब कोई सुनने वाला नहीं होता है ।
कर लेता हूँ बर्दाश्त हर दर्द इसी आस के साथ.. की खुदा नूर भी बरसाता है … आज़माइशों के बाद!!
यूँ तो सिखाने को ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखाती है …. मगर झूठी हँसी हसने का हुनर तो मोहब्बत ही सिखाती है।
तुम से बिछड के फर्क बस इतना हुआ … तेरा गया कुछ नहीँ और मेरा रहा कुछ नहीँ…!
इश्क ना होने के सिर्फ दो ही तरीके थे,या दिल ना होता या तुम ना होते…
वो कागज आज भी फुलों की तरहा महकता है जिस मे उसने मजाक मे लिखा था मुजे तुमसे मोहब्बत है….
चलो अब जाने भी दो,क्या करोगे दास्तां सुनकर… खामोशी तुम समझोगी नहीं,और बयां हमसे होगी नहीं…!!!
दिन भर भटकते रहते हैं अरमान तुझ से मिलने के न दिल ठहरता है न इंतज़ार रुकता है …
बहुत खूबसूरत है ना वहम ये मेरा … कि तुम जहाँ भी हो सिर्फ मेरे हो…
ये झूठ है की मुहब्बत किसी का दिल तोड़ती है, लोग खुद ही टूट जाते है मुहब्बत करते करते…!!
99 % यकीन था मुझे कि तू मेरी न होगी …. बस उस 1 % ने मुझे किसी और का ना होने दिया।
किसी को प्यार करना और उसी से प्यार पाना बहुत कम लोगों को नसीब होता है….
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है, पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है..!!
दर्द की भी अपनी एक अदा है.. ये तो सहने वालों पर ही फ़िदा है।
बेशक तू बदल ले अपने आपको लेकिन ये याद रखना.. तेरे हर झूठ को सच मेरे सिवा कोई नही समझ सकता…!
दर्द काफी है बेखुदी के लिए, मौत काफी है ज़िन्दगी के लिए, कौन मरता है किसी के लिए, हम तो ज़िंदा है आपके लिए…
अपनी तो ज़िन्दगी ही अजीब कहानी है.. जिस चीज़ को चाहा वो ही बेगानी है… हँसते है तो सिर्फ दोस्तों को हसाने के लिए … वरना इन आँखों में में पानी ही पानी है…
हर शाम को ढलता सूरज याद दिलाता है… आज और एक दिन हो गया उसे बेवफा हुए।
कुछ तो है जो बदल गया ज़िन्दगी में मेरी अब आईना में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता..
वादा हमने किया था निभाने के लिए… एक दिल दिया था एक दिल को पाने के लिए… उन्होंने मोहब्बत सिखा दी और कहा कि तुमसे प्यार किया था किसी और को जलाने के लिए….
लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते…
काश तू मेरी आँखों का आँसू बन जाए, मैं रोना ही छोड़ दूँ तुझे खोने के डर से..
उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बंधे हैं कि वो साथ भी नहीं और हम अकेले भी नहीं…!
दाद देते है तुम्हारे ‘नजर-अंदाज’ करने के हुनर को.!! जिसने भी सिखाया वो उस्ताद कमाल का होगा..!!
ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की….!
दुआ कौन सी थी हमे याद नही बस इतना याद है, दो हथेलियाँ जुड़ी थी एक तेरी थी एक मेरी थी..
दर्द सहने की अब कुछ यूँ आदत सी हो गयी है कि अब दर्द न मिले तो दर्द सा होता है।
अब तो शायद ही कोई मुझसे प्यार करे … मेरी आँखों में साफ़ नज़र आने लगी हो तुम।
बारिश और मोहब्बत दोनों ही यादगार होती है फर्क बस इतना है कि एक मे जिस्म भीग जाता है और दूसरी मे आखें…..
दुःख भोगने वाला तो आगे सुखी हो सकता है लेकिन दुःख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता।
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा,एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता…….. ।।
वो अपनी तन्हाई की खातिर फिर आ मिला मुझसे, हम नादान ये समझे हमारी दुआओं में असर है।
कोई भी दीवारें मुझे तुमसे मिलने से ना रोक पाती,अगर तू मेरे साथ होती तो
हर यार – यार नहीं होता.. हर यार वफादार नहीं होता.. दिल आने कि बात है.. नही तो सात फेरो के बाद भी प्यार नही होता
हमने माँगा था साथ जिसका वो उम्र भर की जुदाई का ग़म दे गया…हम जी लेते यादों के सहारे उसकी पर जाते-जाते ज़ालिम भूल जाने की क़सम दे गया !!
गलती इतनी हुई की जान से ज्यादा तुझे चाहने लगे हम । क्या पता था की मेरी इतनी परवाह तुझे लापरवाह कर देगी।
तुम ही वजह मेरे खालीपन की.. और.. तुम्ही गूंजते हो मुझमें हरदम !
हम तो नादान हैं क्या समझेंगे उसूल-ए-मोहब्बत !! बस तुझे चाहा था, तुझे चाहा है और तुझे ही चाहेंगे !!
वो अक्सर मुझसे पूछा करती थी, तुम मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगे, काश मैंने भी पूछ लिया होता..
वो ना ही मिलते तो अच्छा था… बेकार में मोहब्बत से नफ़रत हो गई…
दर्द हैं दिल मैं पर इसका ऐहसास नहीं होता… रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता… बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत मैं… और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होता…
उसकी एक प्यार भरी मुस्कान देकने के लिए..जब जब उसके शहर क्या चला जाता हूँ…कसम से में महीनो तक सो नही पता हूँ..
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से हर चीज़ मिली…. मगर उनके बाद ज़िन्दगी न मिली॥
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे… बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया…
ये दिल भी कितना पागल है…हमेशा उसी की फिकर मे डुबा रहता है जो इसका होता ही नही है… 🙁
कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो..
कभी फुर्सत मिले तो सोचना जरूर, एक लापरवाह लड़का क्यों तेरी परवाह करता था…!!!
मेरी यादों की कश्ती उस समुन्दर में तैरती है, जहाँ पानी सिर्फ और सिर्फ मेरी पलकों का होता है..!
तक़दीर ने जैसे चाहा वैसे ढल गए हम.. बहुत संभल के चले फिर भी फिसल गए हम.. किसी ने विश्वास तोडा तो कभी किसी ने दिल और लोगो को लगता है की बदल गए हम..
तुम्हारे हुसन कि तारीफ़ करने वाले और भी है लकिन हम तारीफ़ नहीं तुम्से प्यार करते थे बस तुम ही समझ न पाई
काश ये दिल बेजान होता ,ना किसी के आने से धडकता ना किसी के जाने पर तडपता
जाता हुआ मौसम लौटकर आया है..काश वो भी कोशिश करके देखे…!!
तेरे बाद हमने दिल का दरवाजा खोला ही नही.. वरना बहुत से चाँद आए इस घर को सजाने के लिए
मुझें छोड़कर वो खुश हैं, तो शिकायत कैसी.. अब मैं उन्हें खुश भी न देखूं तो मोहब्बत कैसी..
काश तेरी याद़ों का खज़ाना बेच पाते हम.. हमारी भी गिनती आज अमीरों में होती ।
अब शिकायतेँ तुम से नहीँ खुद से है.. माना के सारे झूठ तेरे थे.. लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था!!
रंग तेरी यादो का ना उतरा अब तक.. लाख बार खुद को आँसुओ से धोया हमने..
बदल जाऊँगा मैं भी इक दिन पूरी तरह,तुम्हारे लिये न सही…तुम्हारी वजह से यकीनन!!!
आ गया फरक उसकी नजरोँ में यकीनन…..!!अब वो हमें ‘खास अदांज’ से ‘नजर अदांज’ करती हैं……!!
ये तेरा वहम है के हम तुम्हे भूल जायेगे..वो शहर तेरा होगा, जहाँ बेवफा लोग बसा करते है..
बेशक खूबसूरत तो वो आज भी है,लेकिन चेहरे पर वो मुस्कान नहीं,जो हम लाया करते थे…!
भूल जाने का मशवरा और जिँदगी बनाने की सलाह,ये कुछ तोहफे मिले थे, उनसे आखिरी मुलाकात मेँ….!!
काश !! OLX पे उदासी और अकेलापन भी बेचा जा सकता
चलते रहेंगे क़ाफ़िले मेरे बग़ैर भी यहाँ.एक तारा टूट जाने से, फ़लक़ सूना नहीं होता
आँखों के समंदर में कभी उतर कर न देखा, दिल के दरिया में कभी बहकर न देखा. सब कहते रहे मुझको कि पत्थर दिल हूँ मैं, मोम का बना था मैं, मगर किसी ने छूकर न देखा..
इश्क हमें जीना सिखा देता है, वफा के नाम पर मरना सिखा देता है…इश्क नहीं किया तो करके देखो, जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है
उसने कहा भूल जाओ मुझे , हमने कह दिया , कौन हो तुम ?
याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे।
आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है।
रोज तेरा इंतजार होता है रोज ये दिल बेक़रार होता है काश के तुम समझ सकते के चुप रहने वालों को भी प्यार होता है
क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहे…!! तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है
वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह..फिर हल्का सा मुस्कराया, और कहा, मोहब्बत की थी ना… ??
जब से वो मशहूर हो गये हैं, हमसे कुछ दूर हो गये हैं…
जानते हो महोब्बत किसे कहते हैं ? किसी को सोचना, फिर मुस्कुराना और फिर आसू बहाते हुए सो जाना.
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जान लेने पे तुले हे दोनो मेरी..इश्क हार नही मानता..दिल बात नही मानता।
मजा चख लेने दो उसे गेरो की मोहबत का भी, इतनी चाहत के बाद जो मेरा न हुआ वो ओरो का क्या होगा।
न जाने कैसे आग लग गई बहते हुये पानी में..हमने तो बस कुछ ख़त बहाये थे, “उसके नाम के“…
एक याद है तेरी जो सम्भाली नहीं जाती,एक क़र्ज़ लिया जो अदा हो नहीं सकता….❤
बिछड़ने वाले तेरे लिए, एक “मशवरा” है..कभी हमारा “ख्याल” आए, तो अपना ‘ख्याल’ रखना!
मैं क्यूँ कुछ सोच कर दिल छोटा करूँ…वो उतनी ही कर सकी वफ़ा जितनी उसकी औकात थी…
एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा;बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा;टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने;अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा।
पिछले बरस था खौफ की तुझको खो ना दूँ कही,अब के बरस ये दुआ है की तेरा सामना ना हो।
नाकाम मोहबत्त भी बड़े काम की होती है ,दिल मिले ना मिले इलज़ाम जरुर मिल जाता है।।
उसकी जुदाई को लफ़्ज़ों में कैसे बयान करें…वो रहता दिल में…धडकता दर्द में…और बहता अश्क में…!
उसके दिल पर भी, क्या खूब गुज़री होगी..जिसने इस दर्द का नाम, मोहब्बत रखा होगा..!
हमसे भुलाया ही नहीं जाता, एक मुखलिस का प्यार;लोग जिगर वाले हैं, जो रोज नया महबूब बना लेते हैं!”
लम्हों की दौलत से दोनों महरूम रहे ,मुझे चुराना न आया, तुम्हें कमाना न आया
शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है…
मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर , तुमसे मिलकर बिछड़ जाना, ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।।
तू मांग तो सही अपनी दुआओ मे बददुआ मेरे लिए मै हंसकर खुदा से आमीन कह दूंगा … !
सिर्फ तूने ही कभी मुझको अपना न समझा ,जमाना तो आज भी मुझे तेरा दीवाना कहता है
किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;हमने हँसते हुए कहा, “पता नहीं… कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।
आज हम हैं, कल हमारी यादें होंगी. जब हम ना होंगे, तब हमारी बातें होंगी. कभी पलटो गे जिंदगी के ये पन्ने, तो शायद आप की आँखों से भी बरसातें होंगी
मेहनत कितनी भी कर लो, किस्मत अगर कमीनी है तो जिंदगी साउथ अफ्रीका हो जाती हैं 🙁
आज सोचा जिंन्दा हुँ, तो घूम लूँ, मरने के बाद तो भटकना ही है…!
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे…पता नही था की, ‘किमत चेहरों की होती है’ !
है दफ़न मुझमे कितनी रौनके मत पूछ ऐ दोस्त…..हर बार उजड़ के भी बस्ता रहा वो शहर हूँ मैं!!
तेरी आँखों से यून तो सागर भी पिए हैं मैने,तुझे क्या खबर जुदाई के दिन कैसे जिए हैं मैने…
बदनाम क्यों करते हो तुम इश्क़ को , ए दुनिया वालो…मेहबूब तुम्हारा बेवफा है ,तो इश्क़ का क्या कसूर..!! 🙁
दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो, यादों में आ कर चैन चुराती है वो,ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है, बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो..
टूट जायेंगी उसकी “ज़िद” की आदत उस वक़्त…जब मिलेगी ख़बर उनको की याद करने वाला अब याद बन गया है…
टूट जायेंगी उसकी “ज़िद” की आदत उस वक़्त…जब मिलेगी ख़बर उनको की याद करने वाला अब याद बन गया है…
हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला…शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले….
नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में,किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता !
मैंने पूछा उनसे, भुला दिया मुझको कैसे..? चुटकियाँ बजा के वो बोली…ऐसे, ऐसे, ऐसे
दिल तो करता हैं की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह फिर सोचता हूँ कि मनाएगा कौन….?
बिना उसके दिल का हाल कैसे बतलाऊ…!! जैसे खाली बस्ता हो किसी नालायक बच्चे का…!!
एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया, जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया.
तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहाँ कर दो, फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले…
एक खेल रत्न उसको भी दे दो ,बड़ा अच्छा खेलती है वो दिल से
युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के..लेकिन लोग, वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है..
हर सिग्नल तेरी याद दिलाता है, तूने भी रंग कुछ इसी तरह बदला था…!
लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी. पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया..
हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए; गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए; मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी; हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।
दिल से खेलना तो हमे भी आता है… लेकिन जिस खैल मे खिलौना टुट जाए वो खेल हमे पसंद नही..