कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको अचानक,
ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म हो गई|
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िल में मगर पियूँगा नहीं,
क्योंकि मेरा गम मिटा दे इतनी शराब की औकात नहीं|
मेरी गलती बस यही थी के मैंने हर,
किसी को खुद से ज़्यादा जरुरी समझ|
उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी,
जहा सारा शहर अपना था और तुम अजनबी|
तोडा कुछ इस अदा से रिश्ता उस ने की,
सारी उम्र हम अपना कसूर ढूंढते रहे….!!!!
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
सोचा था तड़पायेंगे हम उन्हें,
किसी और का नाम लेके जलायेगें उन्हें,
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,
तो फिर भला किस तरह सताए हम उन्हें।
उल्फत में कभि यह हाल होता है,
आंखे हस्ती है मगर दील रोता है;
मानते है हम जिससे मंजिल अपनी,
हमसफ़र उसका कोई और होता है
वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो।
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो।
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको।
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो।
उसकी मोहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब था,
अपना भी नही बनाया और किसी और का भी ना होने दिया।
वो बिछड़ के हमसे ये दूरियां कर गई,
न जाने क्यों ये मोहब्बत अधूरी कर गई,
अब हमे तन्हाइयां चुभती है तो क्या हुआ,
कम से कम उसकी सारी तमन्नाएं तो पूरी हो गई।
मेरा जूनून मेरी दीवानगी मेरी इन्तहा हो तुम,
तुम्हे भला कैसे समझाए मेरे लिए क्या हो तुम|
दर्द ही सही मेरे इश्क का इनाम तो आया,
खाली ही सही हाथों में जाम तो आया,
मैं हूँ बेवफ़ा सबको बताया उसने,
यूँ ही सही, उसके लबों पे मेरा नाम तो आया।
ना समझो कि हम आपको भुला सकेंगे।
आप नही जानते की दिल मे छुपा कर रखेंगे।
देख ना ले आपको कोई हमारी आँखों मे दूर से।
इसी लिए हम पालखे झुका के रखेंगे।