लोगों के बाल काटने वाला नाई कैसे बना अरबपति, जानिए रमेश बाबू के बिलियनर बार्बर बनने की कहानी

Ramesh Babu Billionaire Barber Inspiring Story In Hindi : कभी एक वक़्त के खाने को तरसने वाले की किस्मत यूं पलटी कि आज वह ३.५ करोड़ की कार Rolls Royce में घूमता है, ४०० से अधिक कारों का मालिक है और पूरे देश में ‘Billionaire Barber’ के नाम से मशहूर है.

ये कहानी है ‘Barber’ से ‘Billionaire Barber’ तक का सफ़र तय करने वाले बैंगलोर के रमेश बाबू (Ramesh Babu) की. गरीबी की चादर में लिपटे उनका बचपन बीता. लेकिन उन्होंने खुद को कभी उस चादर के दायरे में नहीं समेटा. बल्कि अपनी आँखों में सपने सजाये और उन सपनों को अपनी मुट्ठी में बंद कर लिया. आज वे लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

आइये जानते हैं रमेश बाबू (Ramesh Babu) की सफ़लता की पूरी कहानी :

Ramesh Babu Billionaire Barber Inspiring Story | Image Source : economictimes.indiatimes.com

रमेश बाबू (Ramesh Babu) का जन्म कर्नाटक (Karnataka) राज्य के बैंगलोर (Bangalore) शहर में एक गरीब परिवार में हुआ था. पिता नाई (Barber) थे. ब्रिगेड रोड में उनका छोटा सा सैलून (Salon) था. लोगों के बाल काटकर जो आमदनी होती, उससे परिवार की गुजर-बसर होती थी.

आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा, जब रमेश बाबू के पिता का देहांत हो गया. उस समय रमेश बाबू की उम्र मात्र ७ वर्ष थी.

पिता के जाने के बाद घर चलाने की ज़िम्मेदारी रमेश बाबू की माँ के  कंधों पर आ गई. वे लोगों के घरों में बर्तन मांजने, साफ़-सफाई और खाना बनाने का काम करने लगी.

सैलून का काम रमेश के चाचा को सौंप दिया गया. सैलून व्यवसाय से होने वाली कमाई में से ५ रुपये रमेश के चाचा उनकी माँ को दिया करते थे. वह एक कठिन दौर था. उनके परिवार को एक वक़्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब हो पाता था.

मिडिल स्कूल में आने के बाद रमेश बाबू माँ का हाथ बंटाने के उद्देश्य से छोटे-मोटे काम करने लगे. सुबह उठकर वे अखबार बांटते, घरों में दूध की सप्लाई करते थे. इसके अलावा भी जो काम मिलता, वे करते. ताकि कुछ पैसे कमा कर माँ को दे सके.   

किसी तरह उन्होंने १०वीं की पढ़ाई पूरी की. जब वे ११वीं कक्षा में थे, तब एक दिन उनकी माँ का किसी बात पर उनके चाचा से झगड़ा हो गया और उनके चाचा के उन्हें रोज़ के ५ रुपये देने से मना कर दिया.

इस स्थिति में रमेश बाबू सैलून का व्यवसाय संभालने आगे आये. लेकिन उनकी माँ चाहती थी कि रमेश पढ़-लिख जाये. उन्होंने रमेश बाबू को मनाने की कोशिश की. पर रमेश ठान चुके थे. वे नहीं माने और पढ़ाई के साथ-साथ सैलून का काम भी देखने लगे.

परिवार की बचत से उन्होंने सैलून ठीक-ठाक करवाया और दो वर्कर काम पर रख लिए. सैलून को “Inner Space” नाम दिया और अपना पूरा सामर्थ्य इस काम में झोंक दिया. यह १९८९ की बात है.

शुरुवाती समस्याओं से रमेश बाबू को भी दो-चार होना पड़ा. सबसे बड़ी समस्या ये थी कि उन्हें बाल काटना नहीं आता था. लेकिन वे सीखने को तैयार थे. उन्होंने बाल काटने का कोर्स किया और स्वयं बाल काटने लगे. तब से वे “Barber” कहे जाने लगे.

वे रात के १२-१ बजे तक सैलून में काम किया करते थे. उनकी मेहनत और अच्छे व्यवहार से सैलून का व्यवसाय ठीक-ठाक चलने लगा. लेकिन वे १२वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए. उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा कोर्स में दाखिला लिया. लेकिन वो भी उन्हें छोड़ना पड़ा.

बात १९९३ की है. रमेश बाबू का सैलून इतना चल रहा था कि परिवार की गुजर-बसर अच्छी तरह से होने लगी थी और उन्होंने कुछ बचत भी कर ली थी. एक दिन रमेश बाबू ने अपने एक रिश्तेदार की कार देखी और उनके मन में भी कार ख़रीदने की इच्छा जाग उठी.

कुछ अपनी बचत से और कुछ लोन लेकर उन्होंने मारुती ओम्नी (Maruti Omni) ख़रीद ली. वह उनके लिए स्टेटस सिंबल थी. लेकिन कुछ ही महीनों में उनकी स्टेटस सिंबल उनके लिए एक बोझ बन गई. कार की किश्त रू० ६८००/- प्रतिमाह थी, जिसे चुकाने में रमेश बाबू की हालत ख़राब होने लगी.

उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें? वे कार बेचने की सोचने लगे. तभी एक दिन नंदिनी अक्का, जिनके घर उनकी माँ काम किया करती थी, ने रमेश से कहा कि तुम अपनी कार रेंट पर क्यों नहीं देते? इस तरह से तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और कार का लोन भी चुक जाएगा.

रमेश बाबू को नंदनी अक्का की बात जम गई और वे कार रेंट पर देने राज़ी हो गए. नंदनी अक्का ने उन्हें कार रेंटल बिज़नेस की कुछ मूलभूत बातें बताई और इस सिलसिले में कुछ लोगों से मुलाकात करवाई.

रमेश बाबू १९९४ के बाद कार रेंटल बिज़नेस के प्रति गंभीर हो गए. अपनी car rental company का नाम उन्होंने Ramesh Tour & Travels रखा. पहली कंपनी, जिसे उन्होंने कार रेंट पर दी, वो थी – Intel.

उनका कार रेंटल बिज़नेस धीरे-धीरे लय में आ गया. रमेश बाबू (Ramesh Babu) अपनी कारों की संख्या में बढ़ोत्तरी करने में लग गए. २००४ तक उन्होंने ७ कारें खरीद ली थी.

उन दिनों कार रेंटल बिज़नेस में बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा थी. इस कारण रमेश बाबू का बिज़नेस बहुत अच्छा परिणाम नहीं दे पा रहा था. वे अपना customer base बढ़ाने सोच-विचार में जुट गए.

ये वो समय था, जब कार रेंटल बिज़नेस में Luxury Cars न के बराबर थी. जो थीं भी, उनकी हालत अच्छी नहीं थी. ऐसे में रमेश बाबू ने ब्रांड न्यू Mercedes खरीदकर Luxury car segment में उतरने का मन बनाया.

ये एक जोखिम पूर्ण निर्णय था. सबने उन्हें समझाने का बहुत प्रयास किया कि यह निर्णय उनका बिज़नेस ले डूबेगा. लेकिन रमेश बाबू फैसला कर चुके थे. उन्होंने सोच लिया था कि घाटा हुआ, तो अपनी कार बेचकर वे घाटे की पूर्ति करेंगे.

बैंक से लोन लेकर उन्होंने ४२ लाख की ब्रांड न्यू Mercedes Benz ख़रीद ली. उनका ये फ़ैसला फ़ायदे का सौदा साबित हुआ. उन दिनों किसी भी ट्रेवल एजेंसी के पास नई luxury cars नहीं थी. बड़ी-बड़ी कंपनी रमेश बाबू की कंपनी से कार रेंट पर लेने लगी और उसके बाद रमेश बाबू तरक्की की राह में आगे बढ़ते चले गए.

उनकी कारों की ज़खीरा बढ़ने लगा. २००४ की ७ कारें २०१४ तक २०० हो गई, जिसमें ७५ लक्ज़री कारें भी शामिल थी. रमेश बाबू का सपना Rolls Royce ख़रीदने का था. यह सपना उन्होंने २०११ में पूरा किया.  यह कार रखने वाली उनकी पहली और एकमात्र कार रेंटल कंपनी है. 

आज उनकी कंपनी के पास लगभग ४०० कारें हैं, जिसमें Rolls Royce, Audi, BMW, Mercedes जैसी कई Luxury cars भी शामिल हैं.  उनकी कार सर्विस का एक दिन का न्यूनतम किराया रू० १०००/- और अधिकतम रू० ५००००/- है.

Luxury cars service प्रारंभ करने के बाद से कई बड़ी कंपनियों के अलावा नामचीन फ़िल्मस्टार्स भी उनके क्लाइंट लिस्ट में शामिल हो गए है. अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या राय, शाहरुख़ खान जैसे सेलेब्रिटी ने उनकी cars service ली है.

रमेश टूर एंड ट्रेवल्स का हेड ऑफिस बैंगलोर में है. बैंगलोर के अतिरिक्त चेन्नई और दिल्ली में भी कंपनी की शाखायें हैं. धीरे-धीरे कंपनी अपने व्यवसाय का विस्तार देश के अन्य शहरों में भी करने की  योजना बना रही है. उनका पहला टारगेट विजयवाड़ा है. उसके बाद वे हैदराबाद में अपनी कारों को दौड़ाना चाहते हैं.

आज रमेश बाबू की नेट वर्थ २ बिलियन डॉलर है. किसने सोचा था कि तंगहाली में दिल गुजारने वाला एक मामूली सा नाई Rolls Royce जैसी कार का मालिक बनेगा और अरबों में खेलेगा. लेकिन कुछ कर गुजरने का जूनून, कठिन परिश्रम, लगन और आत्म-विश्वास के बल पर रमेश बाबू ने अपनी सपनों को पूरा कर दिखाया और आज वे दुनिया के सामने एक मिसाल हैं.

रमेश बाबू आज Rolls Royce में घूमते हैं. पैसे उन पर बरसते हैं. किंतु वे आज भी बड़ी ही सादगी से अपना जीवन जीते हैं. अपनी जड़ों को वे नहीं भूले हैं. वे मानते हैं कि वे जो कुछ भी हैं, अपने सैलून की वजह से हैं और एक करोड़पति होने के पहले वे खुद को एक Barber मानते हैं. आज भी रोज़ वे अपने सैलून पर सामान्य कीमत पर लोगों के बाल काटते हैं और कहलाते हैं – “Billionaire Barber”     

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