मुझे तुम से मुहब्बत है
मैं आज भी रखती हूँ अपने दोनों हाथो का ख्याल
न जाने उसने कौन सा हाथ पकड़ कर कहा होगा
मुझे तुम से मुहब्बत है ..!!
हो सकती है मोहब्बत
हो सकती है मोहब्बत ज़िन्दगी में दोबारा भी
बस हौसला हो एक दफा फिर बर्बाद होने का..
हर एक लफ्ज़
आसान नहीं है हमसे यूँ शायरी में जीत पाना …..
हम हर एक लफ्ज़ मोहब्बत में हार कर लिखते हैं …
शहर-ऐ -मोहब्बत का पता
इतना आसान नहीं शहर-ऐ -मोहब्बत का पता
खुद भटकते हैं यहां राह बताने वाले …
मोहब्बत की नज़र
यादें उन्ही की आती हैं जिन से कुछ तालुक हो
हर शख्स मोहब्बत की नज़र से देखा नहीं जाता …