प्यार की भी अलग ही प्रथा है,
पल भर में हो जाता है उम्र भर के लिए।
चर्चे इश्क के नही इश्कबाजों के होते है,
इश्क तो आज भी खुदा की बंदगी है..!!
बेताब सा फिरता है कई रोज़ से दिल,
बेचारे ने फिर तुम को कहीं देख लिया है।
सैलाब बनके आँखों से ये निकले,
कंबख्त दर्द के लिए दिल छोटा पड गया।
कोई जंजीर नहीं फिर भी कैद हूँ तुझ में,
नहीं मालुम था की तुझे ऐसा हुनर भी आता है।
गिरते हुऐ अश्क की कीमत न पूछना,
इश्क़ के हर बूंद में लाखों सवाल होते हैं।
मोहब्बत करो तो ऐसे करो कि..
दगा देकर भी, वो वापिस तेरा होने को तड़पे।
ढलती शाम और भागती जिन्दगी के बीच,
ये तुमसे बेवजह की बातें सुनो यही इश्क है।
ज़ाहिर न होने देना, ये बात जहां भर मैं,
तुम मुझसे खफा हो, ये आपस की बात है।
चलो यूं करें तुम मोम बन जाओ मैं धागा बन जाऊं,
तुम मुझ में पिघल जाओ मैं तुम में जल जाऊं..!!