कई जन्मों से तेरे पीछे चलते रहे हैं हम,
होते हुए तरल भी पिघलते रहे हैं हम।
तू हो के व्यस्त भूल गया वादे हजार कर के,
तेरी बेरुखी की आग में जलते रहे हैं हम।
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कई जन्मों से तेरे पीछे चलते रहे हैं हम,
होते हुए तरल भी पिघलते रहे हैं हम।
तू हो के व्यस्त भूल गया वादे हजार कर के,
तेरी बेरुखी की आग में जलते रहे हैं हम।