—— बड़े होकर भाई-बहन ——
—— कितने दूर हो जाते हैं ——
—— इतने व्यस्त हैं सभी ——
—— कि मिलने से भी मजबूर हो जाते हैं ——
—— एक दिन भी जिनके बिना ——
—— नहीं रह सकते थे हम ——
—— सब ज़िन्दगी में अपनी ——
—— मसरूफ हो जाते हैं ——
—— छोटी-छोटी बात बताये बिना ——
—— हम रह नहीं पाते थे ——
—— अब बड़ी-बड़ी मुश्किलों से ——
—— हम अकेले जूझते जाते हैं ——
—— ऐसा भी नहीं ——
—— कि उनकी एहमियत नहीं है कोई ——
—— पर अपनी तकलीफें ——
—— जाने क्यूँ उनसे छिपा जाते हैं ——
—— रिश्ते नए ——
—— ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं ——
—— और बचपन के ये रिश्ते ——
—— कहीं दूर हो जाते हैं ——
—— खेल-खेल में रूठना-मनाना ——
—— रोज़-रोज़ की बात थी ——
—— अब छोटी सी भी गलतफहमी से ——
—— दिलों को दूर कर जाते हैं ——
—— सब अपनी उलझनों में ——
—— उलझ कर रह जाते हैं ——
—— कैसे बताए उन्हें हम ——
—— वो हमें कितना याद आते हैं ——
—— वो जिन्हें एक पल भी ——
—— हम भूल नहीं पाते हैं ——
—— बड़े होकर वो भाई-बहन ——
—— हमसे दूर हो जाते हैं ——
सिर्फ बीवी बच्चे ही आपका परिवार नहीं है, भाई बहन भी है, जो इनसे पहले से आपके साथ थे – हैं और रहेंगे।