Hate story – उसके झूठे कसमे
सच्चाई यही है, मन के सारे भ्रम कुछ मिनटों में दूर हो जाते है. इतने सालो से बिताये पल एक-एक करके याद आने लगते है. एक के बाद एक सारे पल, सारी बाते उनके, सारे कसमें, आखों के सामने आने लगे. क्या सारे ही झूठे थे? यानी जितनी भी वादे की हमसे बस एक छलावा था. जिसे केवल मैं ही सच मानता रहा, उसे ही प्यार समझता रहा. उसका वो सर पर हाथ रख कर कसम खाना क्या वो भी झूठ था. सर पर हाथ रख कर भी इतना पड़ा फरेब.
आखों का एक मोती गिर कर गालो को भीगाते हुए निचे उतर गया. और ऐसी न जाने कितनी मोती लगातार निचे उतर रहे थे. दिल और दिमाग में एक साथ कितनी बाते चलने लगी. कभी अपना पल याद आता जो उनके साथ बिताये पल तो कभी किसी और का जिससे उसका दिल लग गया. जितनी यादें याद आती उतनी ही सिसकियाँ बढती जा रही थी. ये किस बात की सजा मिल ररही है, सच्चे प्यार की? विश्वास की या ईमानदारी की? आखिर किस बात की सजा है ये?
Hate story – उसकी यादें अब भी मेरे पास थी
कौन पूछे उनसे जो तुमसे इमानदार रहा उसे ही इतनी बड़ी सजा? क्यों इतना प्यार करना गलत था? गलत था तो मुझसे बोलती मैं अपने आप को तुम्हारे जैसा करता. जैसा कहती मैं वैसा रहता. एक बार कहती तो मुझसे. बदल देता अपने आप को. मुझे तो बस तुम चाहिए थी मैं रह ही कहा गया था. मेरी हर साँस तुम्हारी थी, हर सपने तुम्हारे थे हर चीज तुम्हारी थी.
यादें जा कर रुक गई जब हम पहली बार मिले थे. हाँ हम भी मिले थी एक अजनबी की तरह. वो डांस कर रही थी किसी की शादी में. किसका शादी पता नहीं. वो कौन थी उसका पता नहीं. मैं बाइक पर बैठा बारात गुजर जाने का इंतजार कर रहा था. और बारात भी लग रहा था रोड छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी. हमने भी बाइक बंद किया और बरातियो का डांस का मज़ा लेने लगे. उसी बारात में एक लड़की समीज-कुर्ता पहनी पागलो सा डांस किये जा रही थी. क्या लग रही थी. आँखों में काजल किये. बैंगनी सूट पहने, लम्बे बाल और वाइट चुन्नी में जबरदस्त लग रही थी. डांस तो ऐसा की मेरा भी मन करने लगा. जा कर मैं भी उसके साथ नाचू. कौन पहचान रहा है हमें इस भीड़ में. मगर पीछे बैठे कमीने …