“तरसती निगाहे” हिंदी बेस्ट पोएम
Written by:-
Anil Kulkarni
तरसती निगाहे मंजिल को ढूंढती है।
छलनामय (धोखा) जग से डरती है।
डरती है, मोह, माया बंधन से।
भवितव्य (भविष्य) में क्या है?
अब यह सोचती है।
न समझ सकी इस जग को।
समझ न सकी पामर दुनिया को।
आभा(दिया) के बुझने पर तिमिर (अंधेरा)
हो जाती।
खुशियां आने पर दुख ज़रूर आती।
कुछ कलियां खिल न पाए यहां।
यौवन क्षण भर के लिए रूके यहां।
दुरूह (मुस्किल) है, इस चक्रव्यूह से निकलना।
जिसमे है, सुख-दुख का झरना।
लोगों से न रूठी, रूठी अपने अदृष्ट पर।
जीवन में हंसते- हंसाते रही, पर माना
मुझे अपना पल -भर।
तपोमय है, जीवन यहां।
जिसकी न होती अंत कभी।
अंत होता सिर्फ शरीर का यहां।
रह जाते सिर्फ यादें यहां।…