तुम्हारी निगाह
सुना है तुम्हारी निगाह से लोग कत्ल होते हैं ” मिर्ज़ा “
ज़रा इक नज़र मेरी बीवी को भी देखो , वो मुझे अच्छी नहीं लगती…
लब पे आती है दुआ
जानता हूँ ” मिर्ज़ा ” के नहीं हो सकती ऐस्वर्या , कटरीना या प्रीती जिंटा मेरी
फिर भी लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी..
जो सोता है
जो सोता है वह खोता है “मिर्ज़ा ”
यह कह कर उसने जगा दिया मुझे..
क्या नशा है
तालीम में भी क्या नशा है “मिर्ज़ा “
किताबें खोलते ही नींद आ जाती है..
थप्पड़ मार कर
ढूंढ रहा है वो मुझ से खफा होने का तरीका “मिर्ज़ा “
सोचती हूँ थप्पड़ मार कर उसकी मुश्किल आसान कर दूँ..
कच्चे घर की छत
मत चलो मेरे कच्चे घर की छत पर “मिर्ज़ा “
कच्चा मेरा मकान है कुछ तो ख्याल कर ..
बहुत खूब लगते हो
मैं आज भी गर्मी से मर रहा हूँ “मिर्ज़ा “
उस ने एक बार कहा था जैकेट में बहुत खूब लगते हो …
हाथ धो के
उस के चक्कर में हमने मुँह नही धोया ” मिर्ज़ा ”
और लोग कहते हैं क्यों उस के पीछे हाथ धो के पड़े हो…
दर्द का सबब
एक मोहबत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब “मिर्ज़ा “
कोई थप्पड़ मारे तो भी बहुत दर्द होता है …
नानी कहते हैं
जो चीज़ प्यास बुजाये उसको पानी कहते हैं
और अम्मी की जो अम्मी होती है उसको नानी कहते हैं …
धड़कन अनजानी सी
क्यों लग रही है इस दिल में धड़कन अनजानी सी ” मिर्ज़ा “
मैं आज नई जीन्स ले कर आई हूँ , मगर ये लगती है पुरानी सी…
दो समोसे
नाराज़ क्यों होते हो चले जाते हैं तेरी महफ़िल से ” मिर्ज़ा “
अपने हिस्से के दो समोसे तो उठा लेने दो …
इश्क़ में बर्बाद
इश्क़ में बर्बाद न हो जाना इस कदर ” मिर्ज़ा “
अपनी अम्मी के अरमान खाक में न मिला देना
जो पैसे अम्मी ने सब्ज़ी लेने के लिए दिये हैं
उन का मोबाइल रिचार्ज न करवा लेना