साथियों नमस्कार, कभी कभी इन्सान कुछ ऐसे रिश्तों में फंस जाता है जहाँ उसे अपने सपने पीछे छुटते नज़र आते हैं| ऐसी ही एक कहानी “Motivational Story in Hindi for Success | गुम है ख़ुशी” हमारी लेखिका लिपि चौहान ने हमें भेजी है, आशा है आपको हमारा यह संकलन पसंद आएगा|
Motivational Story in Hindi for Success | गुम है ख़ुशी
आज घर में अकेली थी ,राधा काम करके जा चुकी थी ,रवि ऑफिस जा चुके थे और में सारा काम निपटा के रेडियो पर गाने सुन रही थी। सुनते-सुनते नज़र शर्मा जी की बालकनी में टंगे पिंजरे पर पड़ी जहा एक प्यारा सा मिट्ठु था।
एक खुबसुरा बोलने वाला मिट्ठू , जो अब बंद पिंजरे में चुप सा हो गया था। उसकी आँखे बस आकाश को देखती हुई आज़ादी का इंतज़ार करती थी उड़ने का इंतज़ार करती थी|
मुझे उससे हमदर्दी सी होने लगी वो तो एक असहाय पंछी है पर में तो इंसांन हूँ वो पिंजरा नहीं खोल सकता पर में सारे दरवाजे खोल सकती हूँ , पर क्यों हूँ मै आज इस मुकाम पर?
माँ-पापा की चहेती, भाई की जान और हर एक फंक्शन की जान थी मै| मुझे आज भी याद है, कॉलेज के उस फंक्शन में मेरे डांस परफॉरमेंस के बाद वन्स मोर-वन्स मोर की आवाजे आ रही थी| सारे टीचर्स और प्रिन्सिपल सर मेरी माँ को घेर कर खड़े थे|
प्रिंसिपल तारीफ़ करते नहीं थक रहे थे| यही नहीं में कॉलेज टापर भी थी| मेरे यही सारे गुण देख कर रवि मर मिटे थे मुझ पर और मेरा हाथ मांग लिया| घर नौकरी सब अच्छी देख कर पापा ने भी मेरी शादी कर दी|
पहला एक साल तो प्यार मोहब्बत में कुछ ऐसा गुज़रा की पता ही नहीं चला| रवि की दीवानगी थी ही कुछ ऐसी थी| लेकिन वो दीवानगी सिर्फ दीवानगी नहीं थी एक ऐसा पिंजरा जो में मेरे लिए तैयार कर रही थी| जिसमे अब मेरा दम घुटता था|
मेरी खूबसूरती कोई और देखे तो रवि बर्दाश्त नहीं कर सकते थे| कोई मेरी कोई तारीफ़ करे ये भी उन्हें अच्छा नहीं लगता था| मै ज्यादा सजु-सवरू तो ताने मिलते थे|
एक कॉम्पिटिशन में भाग लेने के लिए जब मैने रवि से पूछा तो उन्कहोंने कह दिया की मेरी बीवी बीच बाजार में नाचे मुझे पसंद नहीं| क्या मेरी कला जो पूरी दुनिया पसंद करती है वो अब बाज़ारू भी हो गई थी ?
दिन ब दिन उम्मीदे मेरा दामन छोड़ रही थी और में उन चार दीवारों में सिमटती जा रही थी|
मेरा किसी पडोसी से बात करना भी रवि को पसंद नहीं था| क्या यही प्यार था उसका जो मुझे कैद करता जा रहा था| शाम हो चुकी थी, में अपने लिए चाय बनाकर लाई और बालकनी में पी ही रही थी की घंटी बजे देखा तो रवि थे और कुछ जल्दी में थे…
पूछा तो कहने लगे की मीटिंग है और उसके बाद पार्टी लेट हो जाऊंगा आने में|
मैंने कहा कुछ जरुरी बात है तो कहने लगे फ़िज़ूल में परेशान न करो जल्दी से सूट निकालो मुझे जाना है| पता नहीं मेरे अंदर कौन सी लहर दौड़ गई की मेने कहा फ़िज़ूल नहीं बहुत ज़रूरी है और आज सुनना होगा|
रवि गुस्से में मेरी तरफ देखने लगे मेने भी उनसे आँख से आँख मिला कर कहा, आज मेरी गुरु माँ का कॉल आया था| उन्होंने कहा की आगरा कत्थक फेस्टिवल में, मैं गुरुकुल को रिप्रेजेंट करू|
यह सुनते ही रवि का कटाक्ष मेरे कानो में पड़ा| वो कुछ बोलते इससे पहले ही मैंने कहा, पूछ नहीं रही हूँ बता रही हूँ| कल आगरा के लिए निकल जाउंगी और हां अभी मुझे टिकट्स करना है। जा रही हूँ।
रवि ने कहा, जा रही हो तो दुबारा इस घर में मत आना| मैंने कहा घर और अलमारी की चाबियां टेबल पर रखी है आपके जरुरी पेपर उस ड्रावर में है और आपको बोलने की जरुरत नहीं मैंने घर छोड़ने का फैसला उस वक़्त ही कर लिया था जब आपने मेरी कला को बाज़ारू कहा था| बस हिम्मत आज जुटा पाई हूँ।
घर से बहार आते ही महसूस हुआ जो ख़ुशी एक अरसे से गुम थी आज मिल गई|
Motivational Story in Hindi for Success | गुम है ख़ुशी
लिपि चौहान