Krishna Janmashtami in India | श्री कृष्ण जन्माष्ठमी
साथियों नमस्कार, आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं “श्री कृष्ण जन्माष्ठमी Krishna Janmashtami in India” पर एक खास संकलन। इस खास संकलन में आप जानेंगे भारत में श्री कृष्ण जन्माष्ठमी कहाँ-कहाँ और कैसे मनाई जानती है। आशा है आपको हमारा यह संकलन ज़रूर पसंद आएगा।
Krishna Janmashtami in India | श्री कृष्ण जन्माष्ठमी
जैसा कि हम सब जानते है,भारत त्योहारों का देश है। और अगर त्योहार भारत का दिल है तो उनसे जुड़ी कहानियां उसकी धड़कन है। हर त्योहार अपने साथ कई कहानियों को जीवित रूप देता है जिसे हर साल भारत में सैकड़ों लोग मिलकर मनाते है और इन कहानियों को सालो साल तक सब के दिल में हमेशा हमेशा के लिए अमर कर देते है।
तो ऐसा ही एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जिसमे विष्णुजी के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाया जाता है ।
इस त्योहार के पीछे भी कई कहानियां छुपी हुई है। हम इस त्योहार को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते है। इसे केवल जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
जन्माष्टमी के पीछे की कहानी –
इस त्योहार के पीछे की कहानी जुड़ी है अधर्म के ऊपर धर्म की विजय से। जन्माष्टमी या भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अधर्म के ऊपर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।
कृष्ण माता देवकी और पिता वासुदेव अनाकदुंदुभी के पुत्र हैं और हिंदुओं द्वारा उनके जन्मदिन को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। गौड़ीय वैष्णववाद परंपरा के रूप में उन्हें भगवान का सर्वोच्च व्यक्तित्व माना गया है। जन्माष्टमी हिंदू परंपरा के अनुसार मनाया जाता है भाद्रपद महीने के आठवें दिन को (ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त और 3 सितंबर के साथ ओवरलैप) क्योंकि कृष्ण जी का जन्म इसी तिथि की आधी रात को हुआ था।
Krishna Janmashtami in India | श्री कृष्ण जन्माष्ठमी
कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। देवकी के भाई कंस एक अत्याचारी राजा थे। उसने आकाशवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उनका मरण होगा।इसी कारण अपनी मौत से बचने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के एक कारागार में डाल दिया था।
मथुरा के उस कारागार में ही भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उनका जन्म हुआ जिसे आज हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते है।कृष्ण का जन्म एक ऐसे स्थान पर हुआ था जो अराजकतावादी क्षेत्र था । यह एक ऐसा समय था जब उत्पीड़न बड़े पैमाने पर हर जगह था। सभी को स्वतंत्रता …