Pair ko lagne wali chot
पैर को लगने वाली चोट संभल कर चलना सिखाती है
और…..
मन को लगने वाली चोट समझदारी से जीना सिखाती है।…
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पैर को लगने वाली चोट संभल कर चलना सिखाती है
और…..
मन को लगने वाली चोट समझदारी से जीना सिखाती है।…
ग़रीबी में पले हुए बच्चे ज़्यादा
समझदार होते हैं क्यूँकि..
वे बारिश और धूप की मार,
बचपन में देख चुके होते हैं..!☝️
…
हर इन्सान यहाँ बिकता है
कितना सस्ता या कितना महंगा….
ये उसकी मज़बूरी तय करती है!!…
बादल झडते हैं… कोहरा उठता है…
हर काली अंधेरी रात के बाद सवेरा होता है…
कभी कभी हमे जो अंत लगता है
वहाँ से एक नया अध्याय शुरू होता है…
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में….
बस हम गिनती उसी की करते है
जो हासिल ना हो सका….…
सलाह के सौ शब्दो से ज्यादा
अनुभव की एक ठोकर
इंसान को
बहुत मजबूत बनाती है…
पाँच सीढ़ियाँ संबंधों की…
देखना.. अच्छा लगना..चाहना..पाना..
ये चार बहुत सरल सीढ़ियाँ है …
सबसे कठिन पाँचवी सीढ़ी है…
“निभाना”…
किसी के घर जाओ तो
अपनी “आंखो” को इतना काबू में रखो
कि उसके “सत्कार” के अलावा
उसकी “कमियाँ” न दिखे
और जब उसके घर से निकलो तो
अपनी “ज़ुबान” काबू में रखो
ताकि उसके घर की
“इज़्ज़त” और “राज़”दोनो सलामत रहे।
…
कोई आप से पुछे की
आप क्या बनना चाहते हो…..
तो सिर्फ़ एक ही जवाब दीजियेगा कि,
ज़िंदगी के हर पहलू में,
पहले से कुछ बेहतर ।
“कम्पीटिशन दूसरों से नहीं स्वयं के साथ कीजिये”🙏…