ख़त जो लिखा मैनें वफादारी के पते पर, डाकिया ही चल बसा शहर ढूंढ़ते ढूंढ़ते
मरने के नाम से जो रखते थे मुँह पे उँगलियाँ ….. अफ़सोस वही लोग मेरे दिल के क़ातिल निकले…
अभी ज़रा वक़्त है, उसको मुझे आज़माने दो. वो रो रोकर पुकारेगी मुझे, बस मेरा वक़्त तो आने दो।
दर्द हैं दिल में पर इसका ऐहसास नहीं होता… रोता हैं दिल जब वो पास नहीं होता… बरबाद हो गए हम उनकी मोहब्बत में… और वो कहते हैं कि इस तरह प्यार नहीं होत
तकलीफ ये नही की किस्मत ने मुझे धोखा दिया, मेरा यकीन तुम पर था किस्मत पर नही
अखबार तो रोज़ आता है घर में, बस अपनों की ख़बर नहीं आती.
घुटन सी होने लगी है, इश्क़ जताते हुए, मैं खुद से रूठ गया हूँ, तुम्हे मनाते हु
अफ़सोस होता है उस पल जब अपनी पसंद कोई ओर चुरा लेता है.. ख्वाब हम देखते है.. और हक़ीक़त कोई और बना लेता ह
वो गुस्से में तेरा लब से मेरे सिगरेट हटा देना उसी दिलकश अदा की याद में अब कश लगाते हैं
हम भी किसी की दिल की हवालात में कैद थे..!! फिर उसने गैरों के जमानत पर हमें रिहा कर दिया..!!
अपनी जवानी में और रखा ही क्या है, ☝कुछ तस्वीरें यार की बाकी बोतलें शराब की
जिस्म पर जो निशान ☝ हैं ना जनाब, वो बचपन के ☝ हैं बाद के तो सारे दिल ❤ पर है ।।
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम.. खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की
बारिश के बाद तार पर टंगी आख़री बूंद से पूछना, क्या होता है अकेलाप
बिखरा वज़ूद, टूटे ख़्वाब, सुलगती तन्हाईयाँ …. कितने हसींन तोहफे दे जाती है ये अधूरी मोहब्
मोहब्बत तो दिल से की थी, दिमाग उसने लगा लिया…. दिल तोड दिया मेरा उसने और इल्जाम मुझपर लगा द
जो दिल में आये वो करो…. बस किसी से अधूरा प्यार मत क
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते पर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ….
जो उड गये परिंदे उनका क्या अफसोस करें….यहां तो पाले हुए भी गैरों की छतों पर उतरते हैं…!
तेरे बिना जीना मुश्किल है …! ये तुझे बताना और भी मुश्किल है
किस किस से वफ़ा के वादे कर रखे हैं तूने ??? हर रोज़ एक नया शख्स मुझसे तेरा नाम पूछता
बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे, इक शहर अब इनका भी होना चाहि
मै फिर याद आऊंगा उस दिन जब तेरे ही बच्चे कहेंगे-मम्मी आपने कभी किसी से प्यार किया ?
रोकना मेरी हसरत थी जाना उसका शौक। वो शौक पूरा कर गए मेरी हसरतें तोड़ क
हमारी चर्चा छोडो दोस्तों, हम ऐसे लोग है जिन्हें, नफरत कुछ नहीं कहती और मोहब्बत मार डालती हैं
आज कल वो हमसे डिजिटल नफरत करते हैं, हमें ऑनलाइन देखते ही ऑफलाइन हो जाते हैं.
ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम, शहर में भीड़ इतनी भी न थी..पर रोक दी तलाश हमने, क्योंकि वो खोये नहीं थे, बदल गये .
चाह से ज्यादा, चाहने की चाह, मुझे भी थी उसे लेकिन क्या फायदा ऐसी चाह का, जो चाहकर भी ना बन सके मेरी चाह
बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चा
मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते है .. पूरी उम्र लग जाती है उसे भुलाने में
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के liye
उजड़ जाते हैं सिर से पाँव तक वो लोग …. जो किसी बेपरवाह से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं
हजारो गम है सीने मे मगर शिकवा करें किससे… इधर दिल है तो अपना है… उधर तुम हो तो अपने है
भरोसा जितना कीमती होता है धोका उतना ही महँगा हो जाता है
बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी…… पहले पागल किया..फिर पागल कहा..फिर पागल समझ कर छोड़ दिया
खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है
मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में , मैं भी क़ातिल हूँ अपनी हसरतों का , मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है
कोई मिला नहीं तुम जैसा आज तक,पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी न
ना जाने क्या कमी है मुझमें, ना जाने क्या खूबी है उसमें,वो मुझे याद नहीं करती, मैं उसको भूल नहीं पाता
आज उस की आँखों मे आँसू आ गये,वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना … बिना समझे किसी से क्या दिल लगा
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको, यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है
वो जा रही थी और मैं खामोश खड़ा देखता रहा, क्योंकि सुना था कि पीछे से आवाज़ नहीं देते.
इतना कुछ हो रहा है..दुनिया में, ……क्या तुम मेरे नही हो सकते
कैसे करूँ मैं साबित…कि तुम याद बहुत आते हो…एहसास तुम समझते नही…और अदाएं हमे आती नही
अब अकेला नहीं रहा मैं यारों …. मेरे साथ अब मेरी तन्हाई भी है
किसी को प्यार करो तो इतना करों की उसे जब भी प्यार मिलें… तो तुम याद आओ
रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी … जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी .. अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं
उनके हाथ पकड़ने की मजबूती जब ढीली हुई तो एहसास हुआ शायद ये वही जगह है जहां रास्ते बदलने है
खुद से मिलने की भी फुरसत नहीं है अब मुझे,और वो औरो से मिलने का इलज़ाम लगा रहे है
रात भर जागता हूँ एक एसे सख्श की खातिर… जिसको दिन के उजाले मे भी मेरी याद नही आती
तेरे होने तक मैं कुछ ना था…. तेरा हुआ तो मैं बर्बाद हो ग
लफ्ज़ बीमार से पड़ गये है आज कल…..एक खुराक तेरे दीदार की चाह
इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी….ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता न
तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा …तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही, जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँ
वो सुना रहे थे अपनी वफाओं के किस्से हम पर नज़र पड़ी तो खामोश हो ग
आज के बाद ” ये रात और तेरी बात ” नहीं होग
टूट कर चाहा था तुम्हे और तोड़ कर रख दिया तुमने मुझे
काश तू मेरी मौत होती तो एक दिन मेरी ज़रूर होत
ऐ इश्क़…तेरा वकील बन के बुरा किया मैनें, यहाँ☝ हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा है
ना मेरा दिल बुरा था ना उसमें कोई बुराई थी , सब नसीब का खेल है , बस किस्मत में जुदाई थ
इरादा कतल का था तो मेरा सिर कलम कर देते , क्यों इश्क़ में डाल कर तूने मेरी हर साँस पर मौत लिखद
मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह होती है कितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी पड़ ही जाती ह
भुला देंगे तुमको ज़रा सब्र तो कीजिये , आपकी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा हमे
अबकी बार सुलह करले मुझसे ए दिल वादा करता हूँ की फिर नहीं दूँगा तुझे किसी ज़ालिम के हाथों म
मगर वो एक शख्स ही मेरी आखिरी मोहब्बत है
कहाँ पूरी होती है दिल की सारी ख्वाइशें —- कि बारिश भी हो , यार भी हो …. और पास भी
ना रहा करो उदास किसी बेवफा की याद में , वो खुश है अपनी दुनिया में तुम्हारी दुनिया उजाड़ कर
वो उदासी भर लम्हा —- जब उनके पास आपके इलावा सब के लिए टाइम होता है
ये दुःख , उदासी , आँसुओं को मौत क्यों नहीं आती
जा तुझे तेरे हाल पर छोड़ दिया … इससे बेहतर तेरी सज़ा क्या हो
मुझे रुलाकर सोना तेरी आदत बन गयी है .. जिस सुबह मेरी आँख न खुली उस दिन तुझे तेरी अपनी ही नींद से नफरत हो जाएगी
कैसे करे इंतजार तेरे लौट आने का, अभी दिल को यकीन नहीं हुआ है तेरे चले जाने का
हम तो हद से गुजर गए थे तुम्हे चाहने में …. तुम्ही उलझे रहे हमे आजमाने में
मोहब्बत में हमेशा अपने आप को बादशाह समझा हमने मगर एहसास तब हुआ जब किसी को माँगा फकीरों की तरह
वादो से बंधी जंजीर थी जो तोड दी मैँने, अब से जल्दी सोया करेंगे , मोहब्बत छोड दी मैँने
अकेले रहने में और अकेले होने में फर्क होता ह
हमें तो प्यार के दो लफ़्हज़ भी ना नसीब हुए.. और बदनाम ऐसे हुए जैसे इश्क़ के बादशाह थे हम
कौन करता है यहाँ प्यार निभाने के लिये,दिल तो बस एक खिलौना है जमाने के लिये
दुनिया जीत गयी … दिल हार गया
तुम रख न सकोगे मेरा तोहफा संभालकर, वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालक
हमें तो कब से पता था कि तुम बेवफा हो बस तुझसे प्यार करते रहे कि शायद तुम्हारी फितरत बदल जाय
लिखना था की खुश हूँ तेरे बिना पर आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहल
जिसको ये राज़ समझ आ जाए , वही हमसे निभा पाता है … धमकियों से हम नहीं डरते , दिल मोहब्बत से मान जाता है
सबसे बड़ा नादान वो ही है जो समझे नादान मुझे …. कौन कौन कितने पानी में सब की है पहचान मुझ
तू कल भी दिल में थी… और आज भी है…बस कल तक favorite list मे थी…आज block list मे है
जिसको ये राज़ समझ आ जाए , वही हमसे निभा पाता है … धमकियों से हम नहीं डरते , दिल मोहब्बत से मान जाता है
वो दिल ही क्या जो किसी के लिए धडके ही नही, वो Attitude ही क्या जो किसी को खटके ही नह
हो सके तो दिलों में रहना सीखो … गुरुर में तो हरकोई रहता है
दर्द की भी अपनी एक अदा है.. ये तो सहने वालों पर ही फ़िदा है
हममें अकड़है , गुरूर है फिर भी रेहमत देखो रब की… हमे चाहने के लिए सब मजबूर है
रूठे हुओ को मनाना और गैरो को हसाना हमे पसंद नह
देख पगली दिल मे प्यार होना चाहिए… धक-धक तो Royal Enfield भी करता ह