1. माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम..
2. भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी,
बड़ा बेअदब हूँ सज़ा चाहता हूँ..
3. तुम मेरी आँख के बारे में बहुत पूछते हो ना,
ये वो खिड़की है, जो दरिया की तरफ़ खुलती है..
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1. माना उन तक पहुंचती नहीं तपिश हमारी,
मतलब ये तो नहीं कि, सुलगते नहीं हैं हम..
2. भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी,
बड़ा बेअदब हूँ सज़ा चाहता हूँ..
3. तुम मेरी आँख के बारे में बहुत पूछते हो ना,
ये वो खिड़की है, जो दरिया की तरफ़ खुलती है..