1. रहा यूँ ही नामुकम्मल ग़म-ए-इश्क का फसाना,
कभी मुझको नींद आई कभी सो गया ज़माना।
2. अब हिचकियाँ आती हैं तो पानी पी लेते हैं..
ये वहम छोड़ दिया कि कोई याद करता है !!
3. नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा,
तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है।