मेरी यादों की सुबह से निखर आये हो अब तुम,
मेरे एहसास की गर्मी से संवर आये हो अब तुम,
जो चाहो भुलाना तुम तब भी होगा न ये मुमकिन,
इश्क की हद से आगे जो गुजर आये हो अब तुम..
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मेरी यादों की सुबह से निखर आये हो अब तुम,
मेरे एहसास की गर्मी से संवर आये हो अब तुम,
जो चाहो भुलाना तुम तब भी होगा न ये मुमकिन,
इश्क की हद से आगे जो गुजर आये हो अब तुम..